आज का फरमान (मुखवाक, हिंदी में )
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आज का फरमान (मुखवाक
)
{श्री दरबार साहिब, श्री अमृतसर , तिथि:- 28.03.2021,
दिन रविवार, पृष्ठ – 609 }
सोरठि महला ५ ॥
पुत्र कलत्र लोक
ग्रिह बनिता माइआ सनबंधेही ॥ अंत की बार को खरा न होसी सभ मिथिआ असनेही ॥१॥ रे नर
काहे पपोरहु देही ॥ ऊडि जाइगो धूमु बादरो इकु भाजहु रामु सनेही ॥ रहाउ॥ तीनि संङिआ
करि देही कीनी जल कूकर भसमेही ॥ होइ आमरो ग्रिह महि बैठा करण कारण बिसरोही ॥२॥ अनिक
भाति करि मणीए साजे काचै तागि परोही ॥ तूटि जाइगो सूतु बापुरे फिरि पाछै पछुतोही
॥३॥ जिनि तुम सिरजे सिरजि सवारे तिसु धिआवहु दिनु रैनेही ॥ जन नानक प्रभ किरपा
धारी मै सतिगुर ओट गहेही ॥४॥४॥
व्याख्या (अर्थ ) :-
सोरठि महला ५ ॥
हे भाई! पुत्र, स्त्री, घर के और लोग और
औरतें (सारे) माया के ही संबंध हैं। आखिरी वक्त (इनमें से) कोई भी तेरा मददगार
नहीं बनेगा, सारे झूठा ही प्यार करने वाले हैं।1। हे मनुष्य! (निरे इस)
शरीर को ही क्यों लाडों से पालता रहता है? (जैसे) धूआँ, (जैसे) बादल (उड़
जाता है, वैसे ही ये शरीर) नाश हो जाएगा। सिर्फ परमात्मा का भजन किया
कर, वही असल प्यार करने वाला है। रहाउ। हे भाई! (परमात्मा ने)
माया के तीन गुणों के असर तले रहने वाला तेरा शरीर बना दिया, (ये अंत को) पानी
के, कुक्तों के, या मिट्टी के
हवाले हो जाता है। तू इस शरीर-घर में (अपने आप को) अमर समझे बैठा रहता है, और जगत के मूल
परमात्मा को भुला रहा है।2। हे भाई! अनेक तरीकों से (परमात्मा ने तेरे सारे अंग)
मणके बनाए हैं; (पर, साँसों के) कच्चे धागे में परोए हुए हैं। हे
निमाणे जीव! ये धागा (आखिर) टूट जाएगा, (अब इस शरीर के
मोह में प्रभु को बिसारे बैठा है) फिर समय बीत जाने पर हाथ मलेगा।3। हे भाई! जिस
परमात्मा ने तुझे पैदा किया है, पैदा करके तुझे सुंदर बनाया है उसे दिन-रात (हर
वक्त) स्मरण करते रहा कर। हे दास नानक! (अरदास कर और कह:) हे प्रभु! (मेरे पर)
मेहर कर, मैं गुरु का आसरा पकड़े रखूँ।4।4।
वाहेगुरु जी का
खालसा
वाहेगुरु जी की
फतेह ॥
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