आज का फरमान (मुखवाक ) , हुक्मनामा Hukamnama Golden Temple , 05.03.21

 



आज का फरमान (मुखवाक )

{श्री दरबार साहिब, श्री अमृतसर , तिथि:- 05.03.2021,

दिन शुक्रवार ,पृष्ठ – 678 }

धनासरी महला ५ घरु ६

सतिगुर प्रसादि ॥

 

सुनहु संत पिआरे बिनउ हमारे जीउ ॥ हरि बिनु मुकति न काहू जीउ ॥ रहाउ॥ मन निरमल करम करि तारन तरन हरि अवरि जंजाल तेरै काहू न काम जीउ ॥ जीवन देवा पारब्रहम सेवा इहु उपदेसु मो कउ गुरि दीना जीउ ॥१॥ तिसु सिउ न लाईऐ हीतु जा को किछु नाही बीतु अंत की बार ओहु संगि न चालै ॥ मनि तनि तू आराध हरि के प्रीतम साध जा कै संगि तेरे बंधन छूटै ॥२॥ गहु पारब्रहम सरन हिरदै कमल चरन अवर आस कछु पटलु न कीजै ॥ सोई भगतु गिआनी धिआनी तपा सोई नानक जा कउ किरपा कीजै ॥३॥१॥२९॥

 

व्याख्या (अर्थ ) :- 

 धनासरी महला ५ घरु ६

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

                            हे प्यारे संत जनो! मेरी विनती सुनो, परमात्मा (के स्मरण) के बिना (माया के बंधनो से) किसी की भी खलासी नहीं होती। रहाउ। हे मन! (जीवन को) पवित्र करने वाले (हरि स्मरण के) काम किया कर, परमात्मा (का नाम ही संसार-समुंदर से) पार लंघाने के लिए जहाज है। (दुनिया के) और सारे जंजाल तेरे किसी भी काम नहीं आने वाले। प्रकाश-रूप परमात्मा की सेवा-भक्ति ही (असल) जीवन है: ये शिक्षा मुझे गुरु ने दी है।1। हे भाई! उस (धन-पदार्थ) से प्यार नहीं डालना चाहिए, जिसकी कोई पायां नहीं। वह (धन-पदार्थ) आखिर के वक्त साथ नहीं जाता। अपने मन में हृदय में तू परमात्मा का नाम स्मरण किया कर। परमात्मा से प्यार करने वाले संत जनों (की संगति किया कर), क्योंकि उन (संत जनों की) संगति में तेरे (माया के) बंधन समाप्त हो सकते हैं।2। हे भाई! परमात्मा का आसरा ले, (अपने) हृदय में (परमात्मा के) कोमल चरण (बसा) (परमात्मा के बिना) किसी और की आस नहीं करनी चाहिए, कोई और आसरा नहीं ढूँढना चाहिए। हे नानक! वही मनुष्य भक्त है, वही ज्ञानवान है, वही सूझ-अभ्यासी है, वही तपस्वी है, जिस पर परमात्मा कृपा करता है।3।1।29।

 

वाहिगुरु जी का खालसा  वाहिगुरु जी की फतेह

 


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