आज का फरमान (मुखवाक ) Hukamnama 01.03.2021

 



आज का फरमान (मुखवाक )

{श्री दरबार साहिब, श्री अमृतसर , तिथि:- 01.03.2021,

दिन सोमवार ,पृष्ठ – 698 }

जैतसरी महला ४ घरु २

सतिगुर प्रसादि ॥

 

हरि हरि सिमरहु अगम अपारा ॥ जिसु सिमरत दुखु मिटै हमारा ॥ हरि हरि सतिगुरु पुरखु मिलावहु गुरि मिलिऐ सुखु होई राम ॥१॥ हरि गुण गावहु मीत हमारे ॥ हरि हरि नामु रखहु उर धारे ॥ हरि हरि अंम्रित बचन सुणावहु गुर मिलिऐ परगटु होई राम ॥२॥ मधुसूदन हरि माधो प्राना ॥ मेरै मनि तनि अंम्रित मीठ लगाना ॥ हरि हरि दइआ करहु गुरु मेलहु पुरखु निरंजनु सोई राम ॥३॥ हरि हरि नामु सदा सुखदाता ॥ हरि कै रंगि मेरा मनु राता ॥ हरि हरि महा पुरखु गुरु मेलहु गुर नानक नामि सुखु होई राम ॥४॥१॥७॥

 

व्याख्या (अर्थ ) :- 

जैतसरी महला ४ घरु २

सतिगुर प्रसादि ॥

 

                            हे भाई! उस अपहुँच और बेअंत परमात्मा का नाम सिमरा करो, जिसको सिमरने से हम जीवों का हरेक दुख दूर हो सकता है। हे हरी! हे प्रभू! हमें गुरू महांपुरुष मिला दे। अगर गुरू मिल जाए, तो आत्मिक आनंद प्राप्त हो जाता है।1। हे मेरे मित्रो! परमात्मा की सिफत सालाह के गीत गाया करो, परमात्मा का नाम अपने हृदय में टिकाए रखो। परमात्मा की सिफत सालाह के आत्मिक जीवन देने वाले बोल (मुझे भी) सुनाया करो। (हे मित्रो! गुरू की शरण पड़े रहो), अगर गुरू मिल जाए, तो परमात्मा हृदय में प्रगट हो जाता है।2। हे दूतों के नाश करने वाले! हे माया के पति! हे मेरी जिंद (के सहारे)! मेरे मन में, मेरे हृदय में, आत्मिक जीवन देने वाला तेरा नाम मीठा लग रहा है। हे हरी! हे प्रभू! (मेरे पर) मेहर कर, मुझे वह महापुरुष गुरू मिला जो माया के प्रभाव से ऊपर है।3। हे भाई! परमात्मा का नाम सदा सुख देने वाला है। मेरा मन उस परमात्मा के प्यार में मस्त रहता है। हे नानक! (कह–) हे हरी! मुझे गुरू महापुरुख मिला। हे गुरू! (तेरे बख्शे) हरी-नाम में जुड़ने से आत्मिक आनंद मिलता है।417

 

वाहिगुरु जी का खालसा  वाहिगुरु जी की फतेह


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