आज का फरमान (मुखवाक ) hukamnama , 24.02.21

 



आज का फरमान (मुखवाक )

{श्री दरबार साहिब, श्री अमृतसर , तिथि:- 24.02.2021,

दिन बुधवार ,पृष्ठ – 676 }

धनासरी महला ५ ॥

फिरत फिरत भेटे जन साधू पूरै गुरि समझाइआ ॥ आन सगल बिधि कांमि न आवै हरि हरि नामु धिआइआ ॥१॥ता ते मोहि धारी ओट गोपाल ॥ सरनि परिओ पूरन परमेसुर बिनसे सगल जंजाल ॥ रहाउ॥सुरग मिरत पइआल भू मंडल सगल बिआपे माइ ॥ जीअ उधारन सभ कुल तारन हरि हरि नामु धिआइ ॥२॥नानक नामु निरंजनु गाईऐ पाईऐ सरब निधाना ॥ करि किरपा जिसु देइ सुआमी बिरले काहू जाना ॥३॥३॥२१॥

 

 

व्याख्या (अर्थ ) :- 

 

                            हे भाई! तलाश करते करते जब मैं गुरु महापुरुष को मिला, तो पूरे गुरु ने (मुझे) ये समझ बख्शी कि (माया के मोह से बचने कि लिए) अन्य सारी युक्तियों में से कोई एक युक्ति भी काम नहीं आती। परमात्मा का नाम स्मरण किया हुआ ही काम आता है।1।इसलिए, हे भाई! मैंने परमात्मा का आसरा ले लिया। (जब मैं) सर्व-व्यापक परमात्मा की शरण पड़ा, तो मेरे सारे (माया के) जंजाल नाश हो गए। रहाउ।हे भाई! देव-लोक, मात-लोक, पाताल-लोक, सारी ही सृष्टि माया (के मोह) में फंसी हुई है। हे भाई! सदा परमात्मा का नाम स्मरण किया कर, यही है जिंद को (माया के मोह में से) बचाने वाला, यही है सारी कुलों के उद्धार करने वाला।2।हे नानक! माया से निर्लिप परमात्मा का नाम गाना चाहिए, (नाम की इनायत से) सारे खजानों की प्राप्ति हो जाती है, पर (ये भेद) किसी (उस) विरले मनुष्य ने समझा है जिसे मालिक प्रभु स्वयं मेहर करके (नाम की दाति) देता है।3।3।21।

 

वाहिगुरु जी का खालसा  वाहिगुरु जी की फतेह


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